KHUDA HUMKO AISI KHUDAI खुदा हमको ऐसी खुदाई ना

 अपने किरदार को मौसम से बचा कर रखना ,
फूलों में खुशबू दुबारा नहीं आती.....

खुदा हमको ऐसी खुदाई ना दे
के अपने सिवा कुछ दिखाई ना दे

खतावार समझेगी दुनिया तुझे
के इतनी ज़ियादा सफाई ना दे

हंसो आज इतना के इस शोर में
सदा सिसकियों की सुनाई ना दे

अभी तो बदन में लहू है बहुत
कलम छीन ले रोशनाई ना दे

खुदा ऐसे एहसास का नाम है
रहे सामने और दिखायी ना दे

https://youtu.be/rRYQD67vjVk

मेरी जिंदगी संवर जाए MERI JINDGI SAWAR JAYE

 


मेरी जिंदगी संवर जाए अगर तुम मिलने आ जाओ,
तम्मना फिर मचल जाए अगर तुम मिलने आ जाओ,

झलक ते आंख के आंसू कही बेकार न हो जाये,
चरण छु कर बने मोती अगर तुम मिलने आ जाओ,
तम्मना फिर मचल जाए अगर तुम मिलने आ जाओ,

कर्म से बन गया पत्थर नही है रूप मेरा कोई,
कलि के से सवर जाऊ अगर तुम मिलने आ जाओ,
तम्मना फिर मचल जाए अगर तुम मिलने आ जाओ,

भटकता रहता हु दर दर तेरे दीदार के खातिर,
भटकना जो कोई चाहे अगर तुम मिलने आ जाओ,
तम्मना फिर मचल जाए अगर तुम मिलने आ जाओ,

जगत ने सीना झपटा है मुझे यु बाँट डाला है,
सिमट कर एक हो जाऊ अगर तुम मिलने आ जाओ,
तम्मना फिर मचल जाए अगर तुम मिलने आ जाओ

मैं जहां भी रहूं बरसाना मिले

 तेरे रंग में रंगा हर जमाना मिले,

मैं जहा भी रहू बरसना मिले,


सारे जग में तेरा तो ही एक नूर है,

मेरा कान्हा भी तुझसे ही मशहूर है,

बद किस्मत है वो कुझसे दूर है,

तेरा नाम का हर मस्ताना मिले,

मैं जहा भी रहू बरसना मिले.........


तेरी रहमत के गीत गाने आया हु मैं,

कई गुनाहों की सोगात लाया हु मैं,

मैं तो करुना जगत का सताया हु मैं,

रहमत का इशारा नजरना मिले,

मैं यहाँ भी रहू बरसना मिले..........


तेरी पायल बंसी उनकी बजती रहे,

जोड़ी प्रीतम प्यारे की सजती रही,

तेरे रसिको पे छाई ये मस्ती रहे,

तेरे चरणों की रज में ठिकाना मिले,

मैं यहाँ भी रहू बरसना मिले..........


तेरा बरसना राधे मेरी जान है,

मेरे अरमानो की आन है शान है,

तेरी गलियों में जाकर ये कुर्बान है,

गाऊ जब भी तेरा अफसाना मिले,

मैं यहाँ भी रहू बरसना मिले.........


खुश रहे तू सदा ये दुआ है मेरी,

बरसना फले ये सदा है मेरी,

तेरे चरणों में रहना साझा है मेरी,

जभी रास्ता दीवाना मिले,

मैं यहाँ भी रहू बरसना मिले......

बालमुकुन्दाष्टकम्

करारविन्देन पदारविन्दं मुखारविन्दे विनिवेशयन्तम् ।
वटस्य पत्रस्य पुटे शयानं बालं मुकुन्दं मनसा स्मरामि ॥ १॥

संहृत्य लोकान्वटपत्रमध्ये शयानमाद्यन्तविहीनरूपम् ।
सर्वेश्वरं सर्वहितावतारं बालं मुकुन्दं मनसा स्मरामि ॥ २॥

इन्दीवरश्यामलकोमलांगं इन्द्रादिदेवार्चितपादपद्मम् ।
सन्तानकल्पद्रुममाश्रितानां बालं मुकुन्दं मनसा स्मरामि ॥ ३॥

लम्बालकं लम्बितहारयष्टिं शृंगारलीलांकितदन्तपङ्क्तिम् ।
बिंबाधरं चारुविशालनेत्रं बालं मुकुन्दं मनसा स्मरामि ॥ ४॥

शिक्ये निधायाद्यपयोदधीनि बहिर्गतायां व्रजनायिकायाम् ।
भुक्त्वा यथेष्टं कपटेन सुप्तं बालं मुकुन्दं मनसा स्मरामि ॥ ५॥

कलिन्दजान्तस्थितकालियस्य फणाग्ररंगे नटनप्रियन्तम् ।
तत्पुच्छहस्तं शरदिन्दुवक्त्रं बालं मुकुन्दं मनसा स्मरामि ॥ ६॥

उलूखले बद्धमुदारशौर्यं उत्तुंगयुग्मार्जुन भंगलीलम् ।
उत्फुल्लपद्मायत चारुनेत्रं बालं मुकुन्दं मनसा स्मरामि ॥ ७॥

आलोक्य मातुर्मुखमादरेण स्तन्यं पिबन्तं सरसीरुहाक्षम् ।
सच्चिन्मयं देवमनन्तरूपं बालं मुकुन्दं मनसा स्मरामि ॥ ८॥

॥ इति बालमुकुन्दाष्टकम् संपूर्णम् ॥

जब किया भरोसा तेरा jab se kiya bharosa tera

जबसे किया भरोसा मैंने मेरे बने सब काम,
सुख दुःख का मेरा साथी बन गया मेरा खाटू वाला श्याम,
प्रेम का तार न टूटे कभी दरबार न छूटे,

श्याम भरोसे मैंने छोड़ा परिवार ये सारा,
जब साथी मेरा कन्हैया क्यों डुंडु और सहारा,
श्याम प्रभु की सेवा करके मिला मुझे सामान,
अरे सुख दुःख का मेरा साथी बन गया खाटू वाला मेरा श्याम,
प्रेम का तार न टूटे कभी दरबार न छूटे,

श्याम भरोसे मैंने ये जीवन नाव चलाई,
चाहे कितने तूफ़ान आये मेरी नाव ने मंजिल पाई,
सांवरिया ने किरपा करदी थाम ली है पतवार,
अरे सुख दुःख का मेरा साथी बन गया खाटू वाला मेरा श्याम,
प्रेम का तार न टूटे कभी दरबार न छूटे,

मेरी हर पल चिंता करता है खाटू वाला,
कहता रोमी ये सबसे मेरा श्याम बड़ा दिल वाला,
सेठो के इस सेठ से अपनी हो गई है पहचान,
अरे सुख दुःख का मेरा साथी बन गया खाटू वाला मेरा श्याम,
प्रेम का तार न टूटे कभी दरबार न छूटे,

तेरी रेहमतो का दरिया teri rehmaton ka dariya

तेरी रेहमतो का दरिया सरेआम चल रहा है,
मुझे भीख मिल रही है तो काम चल रहा है,

तेरी आशिकी से पहले मुझे कौन जनता था,
तेरे इश्क ने बनाई मेरी ज़िन्दगी फ़साना,
तेरी रेहमतो का दरिया...........

उसे क्या रिजाये दुनिया जिसे आप ने नवाजा,
उसे क्या मिटाइए दुनिया जिसे आप ने नवाज,
नक़्शे कदम पर तेरे ये गुलाम चल रहा है,
तेरी रेहमतो का दरिया...........

तेरी मस्ती यह नजर से पनाचिस्ती में गाजा,
कही मैं बरस रही है तो कही जाम चल रहा है,
तेरी रेहमतो का दरिया...........

मेरी ज़िन्दगी की मकसद तेरे दर की हजारी है,
तेरा नाम चल रहा है मेरा काम चल रहा है,
तेरी रेहमतो का दरिया...........

तारीकियो में तुम था जे हयात सूफी हम्ज़र,
तेरी किस्बतो के सद के ये निजाम चल रहा है,
तेरी रेहमतो का दरिया...........

देखा लखन का हाल तो श्री राम रो पड़े dekha lakhan hal to shri ram ro pade


देखा लखन का हाल तो श्री राम रो पड़े ।
अंगत सुग्रीव जामवंत बलवान रो पड़े ॥

लंका विजय की अब मुझे, चाहत नहीं रही ।
मुझमें धनुष उठाने की, ताकत नही रही ।
रघुवर के साथ धरती, आसमान रो पड़े ॥

करने लगे विलाप, श्री राम फुटकर ।
क्या मै जवाब दूँगा, अयोध्या में लौटकर ।
जितने थे मन में राम के, अरमान रो पड़े ॥

सुग्रीव जामवंत, सुनो ऐ अंगद बलवान ।
लछमण नहीं बचा तो, तग दूँगा मै भी प्राण ।
धरती पे जो पड़ा था, धनुषबाण रो पड़े ॥

देखा जो जामवंत ने, तो हनुमान उड़ गए ।
सूर्योदय से ही पहले, बूटी ले मुड़ गए ।
गले लगा हनुमान को भगवान रो पड़े ॥