जब किया भरोसा तेरा jab se kiya bharosa tera

जबसे किया भरोसा मैंने मेरे बने सब काम,
सुख दुःख का मेरा साथी बन गया मेरा खाटू वाला श्याम,
प्रेम का तार न टूटे कभी दरबार न छूटे,

श्याम भरोसे मैंने छोड़ा परिवार ये सारा,
जब साथी मेरा कन्हैया क्यों डुंडु और सहारा,
श्याम प्रभु की सेवा करके मिला मुझे सामान,
अरे सुख दुःख का मेरा साथी बन गया खाटू वाला मेरा श्याम,
प्रेम का तार न टूटे कभी दरबार न छूटे,

श्याम भरोसे मैंने ये जीवन नाव चलाई,
चाहे कितने तूफ़ान आये मेरी नाव ने मंजिल पाई,
सांवरिया ने किरपा करदी थाम ली है पतवार,
अरे सुख दुःख का मेरा साथी बन गया खाटू वाला मेरा श्याम,
प्रेम का तार न टूटे कभी दरबार न छूटे,

मेरी हर पल चिंता करता है खाटू वाला,
कहता रोमी ये सबसे मेरा श्याम बड़ा दिल वाला,
सेठो के इस सेठ से अपनी हो गई है पहचान,
अरे सुख दुःख का मेरा साथी बन गया खाटू वाला मेरा श्याम,
प्रेम का तार न टूटे कभी दरबार न छूटे,

तेरी रेहमतो का दरिया teri rehmaton ka dariya

तेरी रेहमतो का दरिया सरेआम चल रहा है,
मुझे भीख मिल रही है तो काम चल रहा है,

तेरी आशिकी से पहले मुझे कौन जनता था,
तेरे इश्क ने बनाई मेरी ज़िन्दगी फ़साना,
तेरी रेहमतो का दरिया...........

उसे क्या रिजाये दुनिया जिसे आप ने नवाजा,
उसे क्या मिटाइए दुनिया जिसे आप ने नवाज,
नक़्शे कदम पर तेरे ये गुलाम चल रहा है,
तेरी रेहमतो का दरिया...........

तेरी मस्ती यह नजर से पनाचिस्ती में गाजा,
कही मैं बरस रही है तो कही जाम चल रहा है,
तेरी रेहमतो का दरिया...........

मेरी ज़िन्दगी की मकसद तेरे दर की हजारी है,
तेरा नाम चल रहा है मेरा काम चल रहा है,
तेरी रेहमतो का दरिया...........

तारीकियो में तुम था जे हयात सूफी हम्ज़र,
तेरी किस्बतो के सद के ये निजाम चल रहा है,
तेरी रेहमतो का दरिया...........

देखा लखन का हाल तो श्री राम रो पड़े dekha lakhan hal to shri ram ro pade


देखा लखन का हाल तो श्री राम रो पड़े ।
अंगत सुग्रीव जामवंत बलवान रो पड़े ॥

लंका विजय की अब मुझे, चाहत नहीं रही ।
मुझमें धनुष उठाने की, ताकत नही रही ।
रघुवर के साथ धरती, आसमान रो पड़े ॥

करने लगे विलाप, श्री राम फुटकर ।
क्या मै जवाब दूँगा, अयोध्या में लौटकर ।
जितने थे मन में राम के, अरमान रो पड़े ॥

सुग्रीव जामवंत, सुनो ऐ अंगद बलवान ।
लछमण नहीं बचा तो, तग दूँगा मै भी प्राण ।
धरती पे जो पड़ा था, धनुषबाण रो पड़े ॥

देखा जो जामवंत ने, तो हनुमान उड़ गए ।
सूर्योदय से ही पहले, बूटी ले मुड़ गए ।
गले लगा हनुमान को भगवान रो पड़े ॥